मनुष्य का जन्म चिंतामणि रत्न के सामान है ,
जैसे खोया हुआ रत्न मिलना कठिन है वैसे ही मनुष्य
का जन्म दुष्प्राप्य है ! अज्ञानी मनुष्य रत्न को
आलस्य एवं प्रमाद वश गँवा देते हैं ,ज्ञानी जन इस
रत्न का पूरा - पूरा लाभ उठाते हैं !
जैसे खोया हुआ रत्न मिलना कठिन है वैसे ही मनुष्य
का जन्म दुष्प्राप्य है ! अज्ञानी मनुष्य रत्न को
आलस्य एवं प्रमाद वश गँवा देते हैं ,ज्ञानी जन इस
रत्न का पूरा - पूरा लाभ उठाते हैं !
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