मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करने वाले उसके सद्गुण और सद्व्यवहार ही होते हैं ! संसार सद्गुणों की सौरभ से ही आकर्षित होता है ,हम अपने अभिनय पूर्ण व्यवहार से भले ,झूठी कीर्ति कमा लें पर हम भगवान को धोखा नही दे सकते ! हमारी ख्याति हमारा वह रूप है जिसमे संसार हमें देखता है ,हमारा आचरण वह रूप है जिसमे भगवान हमें देखता है !
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