आज का विचार 15.12.2011
श्रद्धा ह्रदय कि आँख है ,जब खुल जाती है
तो बुद्धि तुच्छ हो जाती है !
आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:
No comments:
Post a Comment