शमशान से मिलने वाला वैराग्य शमशान से निकलते ही
समाप्त हो जाता है ! जो व्यक्ति अपनी ताकत को नही
तोलता है और केवल देखा -देखी ही करने पर उतारू हो
जाता है ,उसे कदम कदम पर लज्जित होना पड़ता है ,
अत: अपनी आत्मशक्ति को देखकर ही किसी क्षेत्र में
कदम बढ़ाने चाहियें !
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