मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Thursday, 15 December 2011

असंग्रह

इंसान के ह्रदय में जब तक असंग्रह कि भावना जाग्रत 
नही होती ,तब तक कोई भी समाज ,प्रांत ,राष्ट्र अपना 
उत्थान नही कर सकता ,अत: असंग्रह कि वृत्ति को 
अधिक महत्व देना चाहिए !
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:

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