"We may laugh with anyone but should never laugh at anyone"
हम किसी के साथ चाहे हंसें ,पर भूलकर भी किसी पर न हंसें !
किसी व्यक्ति के साथ हँसना और किसी व्यक्ति पर हँसना बड़ी
अलग अलग चीजें हैं ! हम दूसरों की हंसीं उड़ाते हैं .पर जो दूसरों
की हँसी उड़ाता है ,एक दिन उसकी जग हँसाई होती है !व्यक्ति
उस बात ध्यान में नही रखता ! विनोदप्रियता में ,मजाक मजाक
में ऐसे खोटे कर्म बाँध लेता है !जिसे भोगने के लिये ,भव भव में
मजबूर होना पड़ता है !
मुनिश्री 108 प्रमाण सागर जी "दिव्य जीवन का द्वार " में
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:
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