आज का विचार 01.11.2011
यदि हमने ये सोचा है कि दुनिया
स्वार्थी है तो फिर हम कभी दूसरों
को सुख नहीं दे सकते !
आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:
It is very true that if we become selfish we cannot give true and intense pleasure to any one.If we do it selflessly we can give happiness to others and will feel every amount of it our self...
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