जो व्यक्ति जैसा करता है !उसको वैसा ही फल मिलता है ,
कोई भी कोयला खायेगा तो मुहं अवश्य ही काला होगा ,
कप्टाई चाहे जितनी करो ,पर एक दिन अवश्य ही उसकी
धूर्तता खुले बिना नही रहती ,निश्छल ह्रदय ही प्रेम
का सच्चा द्वार है !
विचारों पर भोजन का अचूक प्रभाव पड़ता है !
संसार में लोकाक्ति भी है 'जैसा खाओगे अन्न
वैसा बनेगा मन '
किसी भी व्यक्ति को अहंकार नही करना चाहिये ,
क्योंकि अहंकार से उन्नति व प्रगति का मार्ग
अवरुद्ध हो जाता है !
जीभ में ही जहर है ,और जीभ में ही अमृत है !
अमृतमय ,मधुर वचन सबको मनोज्ञ लगते हैं ,
मधुर वचन से सारा संसार वश में हो जाता है ,
और मधुरभाषी का सर्वत्र सम्मान होता है !
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