हर बात को गहराई से सोचना चाहिये !
शब्दावली की यथार्थता पर ध्यान देना
चाहिये !शब्द के यथार्थ को पकडे बिना
गलत अनुमान कर लेने से बड़ा अनर्थ
हो सकता है !
धन की परवाह न करते हुए इंसान को
कदम कदम पर इज्जत का ख्याल
रखना चाहिये ! धन को हाथ का मैल
समझते हुए जो इज्जत एवं वचन की
सुरक्षा करता है ,वही मानव महान
होता है !
संयम की साधना वही व्यक्ति कर सकता है ,
जिसके मन में आंतरिक वैराग्य है ,जिसने
अपना मन मार लिया है !
संसार में सम्पूर्ण सुख की उपलब्धि होना बड़ा कठिन है !
दो सुख मिलते हैं ,एक चला जाता है एक मिलता है ,
तो दो चले जाते हैं ! इस तरह का क्रम चलता रहता है !
अत: संसार को विनश्वर मान कर आत्मिक सुखो के प्रति
प्रयत्न शील रहना चाहिये !
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