आज का विचार 14.11.2011
जो दुःख मुझे मिला है वह मेरी अयोग्यता के मुकाबले कम
है और जो सुख मुझे मिला है वह मेरी पात्रता से कई गुना
अधिक है ऐसा सोचें ,जीवन संतुष्ट होगा !
आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:
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