आज का विचार 07.11.2011
हम हर नई वस्तु को पाने की
अपेक्षा करते हैं ,पर क्या कभी
अपने रूखे स्वभाव को बदलने
की चेष्टा की है !
आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:
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