मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Tuesday, 22 November 2011

आज का विचार 22.11.2011


आज का विचार 22.11.2011
धरती के भीतर पहले से ही पड़े बीज वर्षा
का योग पाकर अंकुरित हो जाते हैं !अत:
अंतर्मन में शुभ संस्कारों के बीज डालते
रहना चाहिये !
आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:

No comments:

Post a Comment