आज का विचार 28.11.2011
जैसे सेठ अपनी तिजोरी से धन उतना निकालता
है ,जितनी जरूरत है ! वैसे ही अपने मुख से वचन
उतने ही निकालो जितनी जरूरत है !
आर्यिका 105 माता स्वस्ति भुषण जी की
“एक लाख की एक एक बात “ से
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:
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