मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday, 30 November 2011

लालच

लालच में फंसकर आदमी को अपनी कुल परंपरा 
का परित्याग नही करना चाहिये ,धन सम्पदा 
सब यहीं की यहीं धरी रह जायेगी ! यह जीव 
अकेला आया है और अकेला ही चला जाएगा !

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