प्रेम विवाह और धर्म विवाह बस इतना ही अंतर है --
एक में प्रेम पहले होता है विवाह बाद में .
दूसरे में विवाह पहले होता है प्रेम बाद में
परिणाम -
एक में प्रेम खो जाता है विवाह रह जाता है ,
दूसरे में विवाह खो जाता है प्रेम रह जाता है !
जीवन भर पेम और आत्मीयता ,यह भारतीय संस्कृति है !इसका अनुपालन हर व्यक्ति को करना चाहिये
जीवन सिर्फ भोग और विलासिता के लिये ही नही मिला है ,ये जीवन तो त्याग और संयम के मार्ग पर आगे
आगे बढ़ने के लिये मिला है !
मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी की 'दिव्या जीवन का द्वार' से
एक में प्रेम पहले होता है विवाह बाद में .
दूसरे में विवाह पहले होता है प्रेम बाद में
परिणाम -
एक में प्रेम खो जाता है विवाह रह जाता है ,
दूसरे में विवाह खो जाता है प्रेम रह जाता है !
जीवन भर पेम और आत्मीयता ,यह भारतीय संस्कृति है !इसका अनुपालन हर व्यक्ति को करना चाहिये
जीवन सिर्फ भोग और विलासिता के लिये ही नही मिला है ,ये जीवन तो त्याग और संयम के मार्ग पर आगे
आगे बढ़ने के लिये मिला है !
मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी की 'दिव्या जीवन का द्वार' से
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