मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 25 July 2014

ज्ञान का प्रवाह


जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  संध्या  !

ज्ञान का प्रवाह तो नदी के प्रवाह की तरह है ,उसे सुखाया नही जा सकता है ! इसी प्रकार ज्ञान का नाश नही किया जा सकता है ,उसे स्व पर कल्याण की दिशा में प्रवाहित किया जा सकता है! यही ज्ञानोपयोग है !

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