मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 13 February 2012

सोमा सती

                      जैन दर्शन मे एक उदाहरण आता है ,सोमा सती  का ! पति ने लाकर एक घड़ा रख दिया ,उसे मारने के लिए जिसमे नाग रखा था ! उत्तम आर्जव धर्म की ,सरलता की बात कर रहा हूँ ! वह घडे का ढक्कन खोलती है ,तो नाग का हार बन जाता है ! पत्नी कहती है ,इतना सुन्दर हार ,स्वामी यह तो मै पहले आपको पहनाऊँगी ,और  उसे पहना देती है ! पति के गले मे जाते ही वह हार से नाग बन जाता है ! आर्जव धर्म वाले का मन ,वचन ,काय सरल ,समभाव होता है
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                    "कठिन वचन मत बोल" एक कटु यानि कठिन वचन ने महाभारत का युद्ध करवा दिया ! "अंधे के अंधे ही पैदा होते हैं " बात -बात मे विनाश ! आज उसी प्रकार  चरित्र को धारण करने नही ,बातों -बातों मे आध्यात्म की चर्चा करते करते धार्मिक व्यव्हार को छोड़ देते हैं !
!मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज  "दस धर्म सुधा " मे

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