मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 19 January 2014

घृणा व द्वेष क्यों ?

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !


जैन दर्शन कहता है कि सँसार की कोई भी आत्मा ,चाहे वह अपनी वर्तमान दशा में कितने भी नीचे स्तर पर क्यों न हो , भूलकर भी उससे घृणा व द्वेष नही करना चाहिए ! प्रत्येक आत्मा में अनन्त अक्षय गुणों का भण्डार छिपा हुआ है जिसका कभी न अन्त हुआ है न होगा , बस जरूरत है आत्मा में परमात्म भाव को प्रकट करने का ! जीवन की गति व प्रगति को रोकना नही है ,बल्कि उसे अशुभ से शुभ की ओर व शुभ से शुद्ध की ओर मोड देना है ! 

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