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Wednesday 28 November 2012

ब्रह्मचर्य की शक्ति


ब्रह्मचर्य की शक्ति
नेपोलियन का अध्ययन काल अत्यंत गरीबी में बीता था ! वह एक नाई के घर पर रहकर अध्ययन करता था ! सुंदरता और सुकुमारता ने उसके यौवन को और अधिक आकर्षक और मोहक बना दिया था ! नाई की स्त्री उस पर मुग्ध हो गयी थी ,व उसे अपनी ओर खींचने का प्रयास करने लगी थी ! परन्तु नेपोलियन था कि पुस्तकों के सिवा उसे कुछऔर भाता नहीं था ! पढ़ लिख कर जब वह फ्रांस का सेनापति बना तो कुछ समय पश्चात उसका उसी जगह पर जाना हुआ ! नाई की दूकान पर गया और देखा तो संयोग से नाई की स्त्री उस समय दूकान पर बैठी हुई थी ! उसे पूछा –तुम्हारे यहाँ बोनापार्ट नाम का एक युवक रहता था ,कुछ स्मरण है तुम्हे ?
स्त्री ने झुंझला कर कहा –ओह ! हाँ , बड़ा नीरस और बेदिल था वह !मुहँ भर मीठी बात तक करना नहीं सीखा था वह ! पुस्तक ,पुस्तक और पुस्तक .....किताबी कीड़ा था वह ! आप कौन हैं ? रहने दीजिए उसकी चर्चा भी !
नेपोलियन मुस्कुराया –ठीक कहती हो देवी ! संयम ही मनुष्य को महान बनाता है ! बोनापार्ट  अगर तुम्हारी रसिकता में उलझ गया होता तो फ्रांस जैसे महान देश का प्रधान सेनापति बन कर तुम्हारे सामने खड़ा नहीं हो सकता था !
ब्रह्मचर्य के द्वारा अपने मन ,इन्द्रियों और शरीर पर व परिस्थितियों पर विजय प्राप्त की जाती है ! ब्रह्मचर्य से मनुष्य साहसी ,मनोबली ,तेजस्वी व अपराजेय बनता है !
ब्रह्मचर्य को धारण करने वाले को सदा चार बातों का पालन करना होता है, वह चिंता नहीं करता, भय रहित रहता है, भोग व विकारों से दूर रहता है और कटु वचनों का प्रयोग नहीं करता है। ब्रह्मचर्य के पालन से मनुष्य रोगों से मुक्त हो जाता है जिससे वह रूपवान होता जाता है। साथ ही उसकी वाणी मधुर होती जाती है, जिससे वह दूसरों को प्रिय लगने लगता है। इसी कारण वह अन्यों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बनता है। ब्रह्मचर्य जीवन सर्व रत्नों की खान है और आत्म शुद्धि का मूल तत्व है !
गृहस्थ जीवन में मनुष्य सम्पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करता लेकिन उसके लिए जैनदर्शन और हिंदू संस्कृति में इसे अपनी ब्याहता पत्नी को छोड़ कर बाकी स्त्रियों को माँ ,बहन अथवा बेटी की नजर से देखना ,भावना रखना बताया गया है !

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