कुछ साधु /गृहस्थ शंकर के नाम पर गांजा पीते हैं और शिवरात्री /होली के दिन भोला का प्रशाद है ,ऐसा कहते हैं !भोला जिस दिनजागेगा ,तुम सबका गोला निकाल देगा !गोला फेंक कर वही भोला तुम्हारे सिर पर गोला मारेगा !इतना अत्याचार ,भोला के नाम से गोला खा रहे हो ! मैंने सारे शास्त्र पढ़े /छान डाले ,इसी निमित्त से पढ़े कि क्या शंकर ने कहीं गांजा पिया था ?शिव पुराण पढ़ लिया ,गरुढ़ पुराण पढ़ लिया .रामायण पढ़ ली ,भागवत पढ़ ली ,बजरंग रामायण पढ़ ली ,राम चरित मानस पढ़ लिया ! लेकिन किसी शास्त्र मे मुझे गांजा और भांग सेवन की बात नही मिली !
धरम के नाम से पाप करना और सामान्य रूप से पाप करना ; इन दोनों मे बड़ा फर्क है ,बहुत अंतर है !पाप करना उतना दुखदायी नही है ,लेकिन पाप को धरम के नाम पर करना महा दुःख दायी है पाप को धरम की कोटि मे रख देना ,धर्म का प्रशाद कह देना ;यह सबसे बड़ा पाप है !
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे
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