मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday, 17 February 2012

संयम से अनन्त सुख

असि ,मसि ,कृषि  ,शिल्प ,विद्या ,वाणिज्य  के द्वारा प्राणी 
शरीर ,धन ,पुत्र  के लिए  जितनी  मेहनत  करता  है  ,उतना 
पुरुषार्थ  यदि  एक  बार  भी  स्वयं के  लिए  कर  ले तो क्या 
निर्मल अनन्त सुख की प्राप्ति नही हो सकती ! 

मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे 
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:



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