इन स्वांसों का ,
क्या भरोसा ..................!
कब किस मोड पर ,
कब खफा हों ,
दफा हो जाएँ ,
दफ़न का कफ़न देकर ?
परिणाम स्वरुप ,
उस मुडन की ,
छिलन -छुलन की ,
छुभन -चुभनमयी पीड़ा से ,
कब किस क्षण ,
यह छैल छबीली ,
सुन्दर फूलों सी काया ,
सूख कर बिखर जाए ,
सपनों सी ..........
ले जा रे वल्लभ ,
अपनी प्राण प्यारी ,
निरंकुश स्वांसो को ,
कब कहाँ किस आंचल मे ,
छुप जाए झट से ,
लाजवंती सती सी !
और .............
क्या पता कब किस गोद मे ,
भूकंप मे .............
सो जाए ,
किस करवट से ,
अपनी होकर भी ,
पराई सी ............!
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे (महाराष्ट्र मे आये भूकंप के बाद कही कविता )
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