भाग्य भरोसे जो जीता है वह कायर कहलाता है ! बाहुबल के भरोसे जो जीता है वह प्रसिद्द है ! बाहुबली ,क्षत्रिय कहलाता है वह ! हथेली कि लकीरों के बल पर जीना कायरता है ,और बाहुबल पर जीना वीरों का काम है ,बस इतना ही ! हथेली के बल जीते हैं कि मेरी किस्मत मे क्या लिखा है ,और पुरुषार्थी वे हैं जो कहते हैं मेरे भाग्य मे जो लिखा होगा वो होगा ! पांडव जैन दर्शन के मानने वाले थे ! क्षत्रिय थे ,बाहुबल से हम सब कुछ कर लेंगें ,और कर दिखाया उन्होंने ! खांडप्रस्थ को परिवर्तित करके इन्द्रप्रथ मे ! खांडप्रस्थ कहते हैं ,खंडहर के स्थान को ,जो उन्हें ध्रतराष्ट्र ने दिया था !
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भगवान मरते समय कम से कम इतना तो हो कि आपका नाम ले सकूँ ,बस इतना देना ज्यादा नही मांगता ! मेरा ह्रदय आपके चरणों मे लीन रहे ! भगवान के चरण मेरे ह्रदय मे तब तक विराजमान रहें ,जब तक कि निर्वाण को प्राप्त न हो जाऊं !
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे
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भगवान मरते समय कम से कम इतना तो हो कि आपका नाम ले सकूँ ,बस इतना देना ज्यादा नही मांगता ! मेरा ह्रदय आपके चरणों मे लीन रहे ! भगवान के चरण मेरे ह्रदय मे तब तक विराजमान रहें ,जब तक कि निर्वाण को प्राप्त न हो जाऊं !
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे
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