आगम मे बताया है कि तपना ही पड़ेगा ! जब कोई चीज तपती है ,उसकी वाष्प ऊपर की ओर जाती है ,और कोई चीज ठंडी होती है तो नीचे की ओर जाती है !तपे हो तो ऊपर जाओगे ,और ठन्डे हो तो नीचे जाओगे ! बस इतना ही अंतर है ! और कोई फर्क नही ! जल को आप तपाते हो ,जल वाष्प बनकर ऊपर उड़ने लग जाता है और जब ठंडा हो जाता है तो नीचे आकर मिटटी मे मिल जाता है! ठन्डे हो जाओगे तो मिटटी मे मिल जाओगे और गर्म बने रहोगे तो आकाश मे तैरोगे ! दुनिया मे कितना भी प्रलय हो जाए ! लेकिन जो एक बार उर्ध्वगमन कर गया ,उसकी शक्ति कभी नीचे आने वाली नही !
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे
सभी मुनि,आर्यिकाओं ,साधु,साध्वियों,श्रावक,श्राविकाओं
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
शुभ प्रात:
को यथोचित नमोस्तु,वन्दामी,मथे वन्दना ,जय जिनेन्द्र,नमस्कार
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