मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday, 22 February 2012

काल करे सो आज कर

    काल करे सो आज कर ,आज करे सो अब 
    पल मे प्रलय  होएगी ,  बहुरि  करेगा कब
                 सम्यकदृष्टि का लक्षण बता रहा हूँ कि सम्यकदृष्टि ही धर्म कार्यों मे कहता है -काल करे सो आज कर ,आज करे सो अब ! सम्यकदृष्टि कहते हैं कि क्या सोचना ? कल का क्या भरोसा ? मै जिन्दा रहूँगा कि नही ? और आज करे सो अब ! लेकिन आप क्या करते हो ?
   आज   करे   सो  काल  कर  ,काल  करे  सो परसों 
   जल्दी -जल्दी क्या करता है अभी तो जीना बरसों!
                       बस इतना ही अंतर है सम्यकदृष्टि और मिथ्यादृष्टि मे ! सम्यकदृष्टि कहता है जिन्दगी पल भर है ,और मिथ्यादृष्टि कहता है ,जिन्दगी बहुत बड़ी है !सम्यकदृष्टि कहता है कि ध्यान रखना ,मै सम्यकदृष्टि हू ,शुद्ध हूँ ,मुझे आत्मा की प्रतीति हुई है ,मुझे भेद विज्ञान हुआ है ! मै स्वाभिमानी हूँ ! मै दुसरे के निकालने से पहले ही निकल जाता हूँ ! चार लोग मिल कर उठा कर ले अर्थी बनाकर के जला आओगे ! लो मै इस घर को जीते जी ही छोड़कर जाता हूँ 
 मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे

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