सूरज को आपने देखा ? उसी सूरज मे कितने देवता बेठे हैं उन्हें भी तपन होती है क्या ?नही ! इसी प्रकार तपस्या करने वाला भेद विज्ञानी होता है, जो बाहर तपता है ,कोई हाथ से छू ले तो आग लग जाए ! अंदर तो उसे ऐसा आनंद आता है जैसे सूर्य मे बेठे हुए देवताओं को ! जब जीव बहिर्मुखी होकर तपस्या करेगा तो नियम से उपवास मे भी उसे स्वप्न मे भी भोजन पानी ही दिखाई देगा ! अंतर्मुखी होगा तो उसे कोई मतलब नही उसे दीन दुनिया से !
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे
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