ब्रह्म मुहूर्त मे तो प्रभु नाम लेना ही चाहिए ! ब्रह्म मुहूर्त मे तो आत्मा मे लीन होने का परिणाम जागना चाहिये ! ब्रह्म मुहूर्त मे तो स्वच्छता को प्राप्त करने का परिणाम जागना चाहिये ! ब्रह्म मुहूर्त मे तो आत्मा मे जो अशुद्धि आ गई है ,उस अशुद्धि को हटा कर शुद्ध करने का परिणाम जागना चाहिये !
मुनि श्री 108 सुधासागर जी महाराज "दस धर्म सुधा " मे
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