मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Friday 13 April 2012

सामयिक एवं सामयिक काल (समय)

सामयिक  का समय पूर्ण होने तक हिंसादि पाँचों पापों का पूर्ण रूप से त्याग अर्थात मन ,वचन ,काय से त्याग ,कृत कारित ,अनुमोदन से त्याग करने को आगम के ज्ञाता मनुष्य सामयिक कहते हैं !

सँसार मे समस्त कार्य जो भी हैं वो समय के साथ हुआ करते हैं , अन्य समय मे अथक /जी तोड़ परिश्रम करने पर भी जो कार्य नही होता है ,वह समय को पाकर साधारण से प्रयास से संपादित हो जाता है !

सामयिक  का समय :-सूर्योदय से एक घंटा बारह मिनट पहले से प्रारम्भ होकर सूर्योदय के एक घंटा बारह मिनट बाद तक ,सायंकाल मे सूर्यास्त से एक घंटा बारह मिनट पहले से शुरू होकर सूर्यास्त के एक घंटा बारह मिनट बाद तक ,व मध्यान्ह मे 10:48 a.m  to 1:12 p.m तक बताया गया है ! ये उत्कृष्ट सामयिक समय है 2 घंटे 24मिनट
1 घंटा 24 मिनट मध्यम,व  48 मिनट   जघन्य काल मना गया है !
 पद्मासन ,सुखासन या सिद्धासन मे पूर्व या उत्तर दिशा मे मुहँ करके डाभ के आसन पर( न ज्यादा आरामदायक होता है न कष्टदायक आसन ) ऐसे स्थान पर सामयिक करें जहाँ अत्यंत शीत या उष्ण न  हो , छोटे बड़े जीव जंतु  न हों ,डांस मच्छर आदि न हों जिस से चित्त मे आकुलता व्याकुलता न रहे !
आचार्य श्री ज्ञान सागर जी /आचार्य श्री विद्या सागर जी
 

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