मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 11 May 2013

ज्ञान मंगलम महोत्सव


जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या  !
ज्ञान प्राप्त करके ,शास्त्रों का पठन करके ,मुनियों व ज्ञानीजनों के प्रवचन श्रवण करके अनुभव में उतारने से आत्म में आत्मा का दर्शन करके स्वयं का मुखिया बनना ही सुखिया बनने का, सुखी जीवन जीने का रहस्य है ! ये उद्बोधन मुनिश्री 108 प्रकर्ष सागर जी महाराज ने आज प्रात: ज्ञान मंगलम महोत्सव के दुसरे दिन प्रकट किये !
ज्ञान बिना नर सूना लागे रे ..........
दिन सूना है बिन दिनकर के
चाँद बिना रैना सूनी लागे रे .....
 ज्ञान बिना नर सूना लागे रे ..........
मंदिर सुना बिन भगवन के
भाव बिना ह्रदय सूना लागे रे ......
ज्ञान बिना नर सूना लागे रे ..........
जीवन सूना बिन तीर्थ के
मधुर भाषण बिना मुख सूना लागे रे ....
ज्ञान बिना नर सूना लागे रे ..........
मुनिश्री 108 प्रकर्ष सागर जी महाराज

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