मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 12 May 2013

रसना


रसना 

ओ मेरी रसना !
स्वाद भोग का
चख ना
व्यर्थ नर्म गर्म में
फंस न
भोगों से स्वयं को
डस न
नहीं तो तुझे बरसों पड़ेगा
सडना
गलना
मरना
छोड़ तु अपना
विषयों में अडना
ओ मेरी रसना
भोगों में किंचित
रस ना  - रस  -  ना   -  रस  ना ......
आचार्य श्री  108  पुष्पदंत सागर जी “शब्दांकन”में

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