मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 11 April 2014

साँझ के सूरज की व्यथा

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !

सांध्य रवि ने कहा
मेरा काम करेगा कौन ?
सुनकर जगत सारा
रह गया निरुत्तर मौन
एक माटी के दिये ने कहा
नम्रता के साथ
जितना हो सकेगा

रोशनी मै दूँगा नाथ

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