मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 14 April 2014

रखना है तो रख लीजिए



जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !

रखना है तो रख लीजिए फूलों को निगाहों में ,
खुशबु तो मुसाफिर है खो जायेगी राहों में !
सूरमे की तरह हालत ने पीसा मुझको ,
तब जाकर चढा हूँ मै लोगों की निगाहों में !
मुनिश्री 108 पुलकसागर जी की पुस्तक “सर्वस्व” से

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