मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 29 December 2012

विश्वास


विश्वास से विश्वास बढ़ता है ! संदेह की कंटीली झाडी में उलझा हुआ विश्वास का वस्त्र फट जाता है ! फटे हुए वस्त्र की सिलाई कितनी ही सफाई से की जाए , वह एक रूप नहीं हो सकता ! विश्वास की आंख में पड़ी हुई संदेह की फांस दिन रात सालती रहती है ,व्यक्ति को निश्चिन्त होकर जीने नहीं देती !

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