मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

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Wednesday 10 April 2013

बोधि


जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ प्रात:
बोधि नाम है अपनी पहचान का ! बोधि कहते हैं स्व-पर भेद विज्ञान को ! अपनी पहचान करना कठिन नहीं है क्योंकि वह मै स्वयं हूँ किन्तु जब तक पहचान नहीं तब तक कठिन जान पड़ता है ! यद्यपि अपनी पहचान कठिन है असंभव नहीं ,एक बार पहचान हो जाए तो भव भ्रमण की श्रंखला टूट जाए ! जीवन मे ऐसी घटनाएं कई बार होती हैं ,जब मनुष्य के मोह पर चोट लगती है और मनुष्य सोचने पर विवश हो जाता है ! किन्तु अनादि काल की मनुष्य की कमजोरी व विषयों के प्रति उसका आकर्षण उसके चिन्तन को धुंधला देता है !

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