मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 5 April 2013

परिस्थिति



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार
अनुकूल परिस्थितियोंमे तो सभी शांत रहते हैं किन्तु जब प्रतिकूल परिस्थिति आती है ,अर्थात अशुभ कर्म का उदय आता है तब व्यक्ति आकुलित हो जाता है ! इसीलिए साधक जानबूझकर अपने साम्य भाव की परीक्षा के लिए तथा समय से पूर्व अपने कर्मों की निर्जरा के लिए प्रतिकूल वातावरण मे जाकर बैठते हैं ! अनुकूल वातावरण मे जाकर साधना करते हैं व प्रतिकूल वातावरण मे परीक्षा देते हैं !

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