मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Wednesday, 30 May 2012

मेरा आत्म विश्वास इतना कमजोर क्यों ?


एक राजा का राजकुमार बीमार था और वो उसके सिरहाने बेठे थे और इतने मे झपकी लग गयी ,तब उन्होंने सपने मे अपने बारह बेटे और एक बहुत बड़ा साम्राज्य देखा ! इतने मे राजकुमार बीमार जो था वो मरण को प्राप्त हो गया ! रानी की चीख सुनकर के उस राजा की आँख खुल गयी और आँख खुली तो देखा कि बेटा मर चूका है ! तब बहुत जोर जोर से हँसने लगा ,तो लोगो ने यही समझा कि पुत्र के वियोग मे पागल हो गए लगते हैं !
उनसे पूछने पर कि आप हँसे क्यों ? तब उन्होंने कहा कि आज मुझे मालूम पड़ा कि इस संसार की वास्तविकता क्या है की सिर्फ बंद आँख से ही सपना नही दीखता ,यहाँ तो खुली आँख से भी हम सपने ही देखा करते हैं ! मै उन बारह बच्चों को जो मै अभी स्वपन मे देख रहा था ,जिन्हें बिलकुल सच ही मान रहा था .वे मेरे चले गए स्वपन टूटने पर ,उनके लिए रोऊँ या कि जो मेरे सामने राजकुमार मरण को प्राप्त हो गया ,इसके लिए रोऊँ ! इसलिए मै हँस रहा हूँ !
ये सारी चीजें ये जो एक हमारा इस सँसार को देखने का नजरिया है ,इस पर कौन आवरण डालता है ,इसे कौन विकृत कर देता है मेरे ऐसे कौन से कर्म हैं जो मुझे सच्चे देव ,शास्त्र ,गुरु पर श्रद्धा नही होने देते ? जो मुझे सात तत्वों का श्रद्धान नही होने देते ? जो कि मेरे जीवन के लिए हितकारी हैं उन पर मेरा विश्वास क्यों नही बनने देते हैं ! आखिर ऐसा क्यों कि किसी और को तो ये विश्वास हो जाता है और मेरा स्वयं का विश्वास नही जमता ! मेरा आत्म विश्वास इतना कमजोर क्यों ? क्या चीज है जिससे अपनी निजी सम्पदा पर हमारा विश्वास नही होता ? क्या चीज है कि सच्चाई पर हमारा विश्वास नही होता ? और क्या चीज है जो कि सपने को सच मानने को मजबूर कर देती है ! हाँ पाने लायक कुछ भी नही है और जो पाने लायक है वो अपने भीतर है !
मुनिश्री 108 क्षमा सागर जी की पुस्तक “कर्म कैसे करें” से संपादित अंश

1 comment:

  1. bahut hi badiyaa.. itni badiyaa bate likhne ke liye bahut bahut dhanyawaad

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