मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 16 February 2014

पुण्य पाप का फल

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !

सभी जीव अपने किये हुए पुण्य पाप का फल ही भोगते हैं ! अन्य कोई किसी को सुखी दु:खी नही कर सकता ! यदि कोई अन्य किसी अन्य को सुखी दु:खी कर सकता तो अपने किये पुण्य पाप का क्या होगा ? अत: किसी के प्रति राग द्वेष करना व्यर्थ है !
तन कोई छूता नही चेतन निकल जाने के बाद !

फैंक देते फूल को खुशबु निकल जाने के बाद !

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