मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 1 February 2014

हँसना

जय जिनेन्द्र दोस्तों ! भाइयों और बहनों ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ  प्रात: !


उत्तम मानवों की आँखें हँसती हैं ! जब भी हँसने का प्रसंग आता है तो उनकी आँखों में ऐसी रोशनी चमकती है कि मानव का मन आनन्द से विभोर हो जाता है ! मध्यम मानव खिलखिलाकर हँसता है और अधम मानव अट्टहास करता है ! उसके ठहाके से दीवारें गूंजने लगती हैं ! इस प्रकार की हँसी असभ्यता और जंगलीपन की प्रतीक है !

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