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Thursday 19 July 2012

शयन कक्ष व उसमे लगाए जाने वाले चित्र


वास्तु पाठ -1
दिनांक 9.7.2012  को दिगम्बर आचार्य श्री  108 गुप्तिनंदी जी गुरुदेव द्वारा रोहतक चातुर्मास में  दिया गया वास्तु सम्बंधित  पाठ  ! इन आचार्य जी की मुनि दीक्षा 22.7.1991 को आचार्य श्री कुंथूसागर जी के द्वारा रोहतक में ही हुई थी !
शयन कक्ष व उसमे लगाए जाने वाले चित्र
आचार्य जी के अनुसार कागज़ के चित्र  चाहे आराध्य देव या मुनिराज के हों, ऐसे  चित्र शयन कक्ष में  लगाने पर प्रभु /आचार्य जी/मुनियों  की अविनय नहीं होती
दक्षिण की दीवार पर पहाड़ी तीर्थक्षेत्र का चित्र लगाएं जैसे सोनागिरी जी , ,सम्मेद शिखरजी ,राजगिरि जी
इससे अनेक लाभ होते हैं जैसे  आत्मविश्वास बढ़ता है , व्यापार में दृढ़ता आती है ,कर्ज से मुक्ति मिलती है !
पश्चिम की दीवार पर तीर्थंकर भगवान का चित्र लगाएं बिलकुल बीच में शयन कक्ष की पश्चिमी दीवार के  ! नैऋतय (south west corner on west wall ) में आचार्य या गुरु जो जीवित हैं उनके चित्र लगाएं ! वायव्य (North west corner on west wall ) में आचार्य जो दिवंगत हो चुके हैं उनके चित्र लगाएं ! सभी चित्र पूर्व मुखी रहेंगें !
उत्तर दिशा में स्वच्छ तालाब या नदी का चित्र लगाएं ( झरना या पहाड़ नहीं हो ), फूलों की क्यारियों का बगीचा का चित्र लगाएं (लेकिन चित्र में ऊँचें पेड न हों) !
ऊँचे पेड के चित्र पश्चिम की दीवार पर चलेंगें बीचोंबीच में ! पश्चिम से पूर्व की और बहता झरना का चित्र लगाएं !
पूर्व दिशा की दीवार में सुन्दर सुन्दर बच्चों के चित्र लगाएं व चरित्रवान महापुरुषों के चित्र लगाएं जैसे कि सुभाष चंद्र बोस , महारानी लक्ष्मीबाई , शहीद भगत सिंह , आदि !
यह सब होने से रात्रि में प्रगति सूचक स्वपन आते हैं ! प्रात: काल इनके दर्शन से पूरा दिन मंगलमय होता है !
यहाँ रहने वालों के पुण्यवान ,भाग्यवान व संस्कारवान सन्तान की प्राप्ति होती है !
शयन कक्ष में सीलन व दरार न हों ! सोने के बिस्तर के पीछे खिड़की व दरवाजा न हो ! ऊपर बालकोनी न हो ! लाल व काला पैंट नहीं हो !  सफ़ेद और दुसरे हलके रंग जैसे गुलाबी ,हलका पर्पल , क्रीम रंग हो सकते हैं !
लड़ाकू योद्धा के चित्र जैसे महाभारत आदि के चित्र घर में नहीं हों खासकर कि शयन कक्ष में ! लड़ते हुए खूंखार जानवर ,हिंसक पशु ,आदिवासी ,हब्शी ,आदि व अश्लील असभ्य फ़िल्मी हीरो व हीरोइनों के चित्र बिल्कूल  न हों ! इन चित्रों के होने से घर के सदस्यों के परिणाम बिगड़ते हैं व घर में अशांति पैदा होती है ! कलेश व चरित्रहीनता पनपती है !

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