मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Saturday 29 October 2011

बुरी संगत से अकेला भला





बुरी संगत से अकेला भला
महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा  My experiments with truth
में लिखा है कि कैसे अपनी पत्नी के विरोध के बावजूद,एक गलत दोस्त की संगत में उन्होंने मांस भक्षण जैसा घृणित कार्य  भी किया और वैश्यालय तक का रास्ता भी देखा  और कैसे अपनी पत्नी पर भी शक और हिंसा तक की उसके साथ !खुद महात्मा गाँधी के शब्दों में कहें तो उन्हें ईश्वरीय कृपा ने ही सीधा रास्ता दिखाया !
Moral of the writing is :Better alone than in a bad company.

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