मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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Sunday 30 October 2011

उत्तम क्षमा

महावीर स्वामी पेड  के नीचे बैढे थे|ध्यान मगन थे|पेड़ पर आम  लटक
 रहे थे वहीँ कुछ बच्चे खेल रहे थे वे पत्थर फैंककर आम तोड़ने लगे |
पत्थरों से एक-दो आम टूट पड़े| पर एक पत्थर महावीर को जा लगा और
उनके सिर से रक्त बहने लगा बच्चे डर गए|क्षमा याचना के लिए महावीर
 के पास जा पहुंचे|महावीर की आँखों में आंसू थे |बच्चों ने कहा: प्रभु, हमें
 क्षमा करें ,हमारे कारण आपको कष्ट हुआ है |प्रभु बोले:नहीं मुझे कोई कष्ट
 नहीं है|बच्चों ने पूछा:तो फिर आपकी आँखों में आंसू क्यों?महावीर ने बताया:
पेड़ को तुम ने पत्थर मारा तो इसने तुम्हे मीठे फल दिये,पर मुझे पत्थर
मारा तो मै तुम्हे कुछ नहीं दे सका |इसीलिए मै दुखी हूं |
यह है उत्तम क्षमा
मुनि श्री 108 तरुण सागर जी महाराज  

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