मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Monday 31 October 2011

मौत

                मौत दबे पाँव आती है 
           जिंदगी फिर भी सिहर जाती है 
           तुमको आदत है पर्याय बदलने की
           मौत बदनाम हुई जाती है!
       
            दबे पाँव मौत आती है ,आने दो
            आहट मिल जाये मन मत घबराने दो 
            निश्चित ही मृत्यु से जीवन का अन्त नहीं ,
            प्राण मुखर होते हें देह बदल जाने दो !
        
            आचार्य पुष्पदंत सागर जी की पुस्तक "आध्यात्म के सुमन "से

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