मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

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Saturday 3 March 2012

नौकर की सीख

                 एक नौकर राजा की फूलों की शैया प्रतिदिन सजाता था ! एक दिन राजा साहब किसी कार्य से गए और कह गए कि आज मै  थोड़ी देर से आऊंगा ! नौकर ने सोचा -मै प्रतिदिन राजा की सेज सजाता हूँ और राजा प्रत्दीन सोता है यहाँ ! आज राजा जी देरी से आयेंगे ! कुछ देर कम से कम मै भी तो इस शैया का आनंद लेकर के देखूं !कैसा आनंद आता होगा ,इस  फूलों की सेज के आनंद को मै भी तो चखूँ ? थोडा तो सोकर देख लूँ और वह जैसे ही शैय्या पर लेटा ,उसे नींद  आ गयी और नींद मे कब घंटों बीत गए पता ही नही चला !  पता ही नही चला कि कब राजा साहब आकर सिरहाने खड़े हो गए ! राजा साहब कहते हैं -अरे नादान ,मुर्ख तेरी ये मजाल कि मेरी सेज पर सो गया !  राजा ने आव देखा न ताव ,हंटर उठाया और दे मारा उसे ! वह तडपकर उठा ! सामने देखा ! राजा साहब ! अनर्थ हो गया ,अब तो प्राण दंड मिलेगा ! राजा ने एक और हंटर जमाया ! दूसरा हंटर पड़ते ही नौकर को हंसी आ गयी ! 
राजा -मुर्ख ,हँसता है ,ढीठ, बेशर्म ! 
और तपाक ! तपाक ! तपाक !चार पांच हंटर और जमा दिये !
वह नौकर और जोर से हँसने लगा ! सात आठ हंटर और मारने के बाद राजा के हाथ मे दर्द होने लगा !
नौकर की चमड़ी कई जगह से छिल गयी थी ! रक्त निकलने लगा था !
लेकिन फिर भी हँसे जा रहा था ! बेहताशा ! पागलों की तरह ! 
राजा -पागल हो गया है क्या ? क्या कारण है जो हँसे जो रहा है ?
नौकर -मै पागल नही हुआ हूँ राजन ,अभय दान दो तो मै बताऊँ ! 
राजा -जाओ ! तुम्हे मृत्युदंड के भय से मुक्त किया ! अब बताओ क्या कारण है जो इस तरह पागलों की तरह हँसे जा रहे हो ?
नौकर - राजन ! हंसी मुझे इसीलिए आ रही है कि मै इस फूलों की सेज पर कुछ घंटों के लिए सो गया ,उसकी सजा मे मुझे इतने कोडे पड़े ! और आप जीवन भर से इस शैया पर सो रहे हैं ,तो आपकी क्या दशा होगी ?मुझ पर आप इतना क्रोध कर रहे हैं कि कितना अनर्थ किया मैंने इस पर सोकर ! मै यही सोच रहा था कि चंद घंटे सोने पर मेरी ये दशा हुई कि सारे शरीर की चमड़ी उधड गयी और तुम सारी जिन्दगी से सो रहे हो ,सारी जिन्दगी से इन विषयों मे लीन रहे हो ,फिर आपकी क्या दशा होगी ?  राजन मुझे वह दृश्य दिखाई डे रहा है जहाँ इन पंचेन्द्रियों के भोगों मे लीन होने वालों के टुकड़े -टुकड़े कर दिये जाते हैं  ! एक नौकर सबक दे गया ,सीख दे गया ! राजा की आँखें खुल गयी ! तु सही कह रहा हैं ! वैराग्य हो गया इस नश्वर जीवन से ! सब छोड़ छाड कर चल दिया ! मुनिराज के पास जाकर दिगम्बर दीक्षा ले ली ! अपने कर्मों को काटने लगा !

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