मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

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Monday 13 August 2012

जय जिनेन्द्र


जय जिनेन्द्र
सर्वप्रथम हमें अपने बिस्तर से उठकर कदम नीचे रखने के बाद अगर घर के पास ही जिनालय है  तो अपने घर की छत पर जाकर मन्दिर के शिखर ,कलश ,ध्वजदंड और मान सतम्भ के दर्शन करने चाहिये ! अगर जिनालय पास नहीं है तो उस दिशा में मुहँ करके नमस्कार करें जिस दिशा में जिनालय है ,इनके दर्शन से हमें जिनालय की पवित्र उर्जा का लाभ मिलता है ! रोज शिखर के दर्शन करने से हमें सफलता के शिखर प्राप्त होता है ! ध्वजा के दर्शन करने से उस ध्वजा के समान हमारी कीर्ति फहराती है अर्थात सब जगह हमारा नाम होता है ! कलश के दर्शन से घर में धन की वृद्धि होती है ! परिवार के पुण्य की वृद्धि होती है ! मान स्तम्भ के दर्शन से समाज में सम्मान की प्राप्ति होती है !
उसके बाद बड़ों छोटों सभी को जय जिनेन्द्र करना चाहिये ! ज्योतिष के अनुसार पिता को प्रसन्न करने से सूर्य ग्रह अनुकूल होता है ,सूर्य ग्रह के अनुकूल होने से व्यापार और नौकरी आदि में सफलता मिलती है !कानूनी अडचनें सुलझ जाती हैं ! आचार्यों ने कहा है :-
जयकारो जन्म विच्छेद: ,
यकारो यम नाशनम्
जन्म मृत्यु विनाशाय
जय इति प्रोच्यते =   जय जिनेन्द्र
जयकार    हमारे जन्म सम्बन्धी दुःख को विच्छेद करने वाला है ! यकार
हमारी  मृत्यु पर हमें विजय दिलाने वाला है !
जन्म और मृत्यु सम्बन्धी दुःख पर विजय पाने के लिए जीवन के हर क्षेत्र में जय विजय पाने के लिए हमें बार बार जय जिनेन्द्र बोलना चाहिये ! बात की शुरुआत में और अन्त में जय जिनेन्द्र बोलने से बहुत लाभ होते है !
आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी की प्रात: कालीन कक्षा से

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