मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Wednesday 8 August 2012

ओउम् ह्रीं श्रीं अर्हं नम:


सब प्रकार के दुखों के निवारण और पुण्य वृद्धि के लिए मंगलकारी मन्त्र
ओउम्  ह्रीं  श्रीं  अर्हं  नम:
ओउम् के जाप से पाँच  परमेष्ठी को नमस्कार किया जाता है ! हमारे  शरीर के चारों और इससे रक्षा कवच बनता है और अगले भवों में केवलज्ञान की प्राप्ति होती है !
ह्रीं  के जाप से हर प्रकार के विघ्न और पापों का नाश होता है ! चौबीस तीर्थंकरों और सभी आध्यात्मिक  शक्तियों को नमस्कार होता है !
श्रीं   के जाप से मुख्या रूप से हमारे अन्तराय कर्म का नाश होता है व्यापारिक अडचनों व आर्थिक समस्याओं को समाप्त करके आय के नए स्तोत्र खुलते हैं ! श्रीं में महालक्ष्मी , लक्ष्मीपति और समव्शरण को नमस्कार किया गया  है !
अर्हं  के जाप से अयोग्य व्यक्ति में भी योग्य व्यक्ति के गुण प्रकट होने लगते हैं और हर जगह उच्च पद व स्थान मिलता है ! अर्हं में सभी अरिहंतों को ,महापुरुषों को ,उच्च पद पर आसीन महानुभावों को नमस्कार किया गया है !
स्वास्थय लाभ ,व्यापार वृद्धि ,समृद्धि ,उच्च पद की प्राप्ति के लिए हमें हर रोज इस गुरु मन्त्र की तीन माला रोज जपनी चाहियें !
आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी की प्रात: कालीन कक्षा से

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