मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Thursday 30 August 2012

मनोमंत्र


मनोमंत्र
मानव का उत्थान पतन सब ,
                 अंतर्मन पर अवलंबित है
निज पर का हित और अहित सब
              मात्र इसी पर आधारित है !

उजला या काला भविष्य है ,
               वर्तमान के भाव तंत्र में
जो चाहो सों बन सकते हो
              महाशक्ति है मनोमंत्र में !

पापी या पुण्यात्मा तुमको ,
             करे तुम्हारा अंतर्मन ही
सबसे पहले इसे सवारों
         मूल कर्म का है चिंतन ही !

जब भी सोचो अच्छा सोचो ,
   मन को सौम्य ,शांत शुभ गति दो
अन्धकार युत जीवन पथ को
     ज्योतिर्मय निज पर हित मति दो !
उपाध्याय अमर मुनि जी की पुस्तक “अमर क्षणिकाएं” से


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