मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

सभी को इसे Copy/Share करने की स्वतंत्रता है !

कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 26 August 2012

मित्रता


मित्रों ! जय जिनेन्द्र, नमस्कार ,प्रणाम 

प्रत्येक व्यक्ति के तीन मित्र हैं शरीर ,परिवार और धर्म  ! शरीर सबसे पहले साथ छोड़ता है ! परिवार कुछ दूर यानि शमशान तक साथ रहता है लेकिन एक धर्म ही है जो अन्त समय तक व अगली पर्याय में भी साथ निभाता है ! इसिलिए  हमें धर्म को अपने जीवन में सबसे पहला स्थान देना चाहिये !

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