मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Sunday 4 November 2012

निज व्यथा


जिससे भी हम अपने मन की व्यथा कहेंगें ,दुःख - दर्द कहेंगें ,वह या तो राग-द्वेष व अज्ञानता वश हमारा ही दोष बताकर हमें और दुखी कर देगा या फिर दीन ,हीन ,मुसीबत का मारा समझकर दया दृष्टि से देखेगा ! हमारी और हमारे परिवार की कमजोरियों को यहाँ वहाँ कहकर बदनामी भी कर सकता है और हमारी कमजोरियों का गलत फायदा भी उठा सकता है !

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