मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Saturday 15 June 2013

रा ख .......ख रा



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार ! शुभ संध्या
तन और मन को तप की आग में तपा – तपाकर ,
जला – जलाकर राख करना होगा !

तभी कहीं चेतन  आत्मा खरा उतरेगा ,
क्योंकि राख शब्द ही विलोम रूप से कह रहा ! 
राख बने बिना खरा दर्शन कहाँ ?
रा ख .......ख रा .......... 
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज “मूक माटी” में

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