मेरा अपना इसमें कुछ भी नहीं .........

जो भी कुछ यहाँ लिखा है जिनेन्द्र देव और जैन तीर्थंकरों की वाणी है !

जैन साधुओं व साध्वियों के प्रवचन हैं !!

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कोई कापीराइट नहीं ..........

Friday 28 June 2013

माँ



जय जिनेन्द्र बंधुओं ! प्रणाम ! नमस्कार !शुभ संध्या !

अपने हो या पराये
भूखे प्यासे बच्चों को देख
माँ के ह्रदय में दूध रूक नहीं सकता
बाहर आता ही है उमड़कर
इसी अवसर की प्रतीक्षा रहती है
उस दूध को
प्राय: पुरुषों से बाध्य हो कर ही
कुपथ पर चलना पड़ा है स्त्रियों को
परन्तु कुपथ सुपथ को परख करने में
प्रतिष्ठा पायी है स्त्री समाज ने
इनकी आँखें है   करूणा  की कारिका
शत्रुता छू नहीं सकती इन्हें
मिलनसारी मित्रता
मुफ्त मिलती रहती इनसे
यही कारण है कि
इनका सार्थक नाम है नारी
यानी “न अरि”  नारी
अथवा ये आरी नहीं है
सो .........नारी !
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महा मुनिराज मूक माटीमें

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